रासायनिक अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी विभाग
 

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में औद्योगिक रसायन-विज्ञान विभाग की स्थापना 1921 में हुई । तत्पश्चात, वर्ष 1956 में इसका नामकरण रासायनिक इंजीनियरी एवं प्रौद्योगिकी विभाग किया गया । विभाग ने शिक्षण और अनुसंधान में उपलब्धियों के अनेक कीर्तिमान स्थापित किए हैं । यह रासायनिक इंजीनियरी के उदीयमान क्षेत्रों में शिक्षा प्रदान करने के लिए अपनी कार्यक्रमों का आधुनिकीकरण कर रहा है ।

 

इस समय विभाग रासायनिक इंजीनियरी में बी.टेक, एम.टेक और पीएच.डी डिग्री के पाठ्यक्रम आयोजित कर रहा है । विभाग, आईआईटी (बीएचयू) और काशी हिंदू विश्वविद्यालय को भी पाठ्यक्रम प्रस्तावित करता है । नए स्नातक-पूर्व पाठ्यक्रम में विभाग को स्वतंत्र रूप से अथवा बाह्य विभागों के साथ संयुक्त रूप से संस्थान स्तरीय पाठ्यक्रमों के अनेक कार्यक्रम आयोजित करने का कार्य सौंपा गया है । विभाग की अनुसंधान सुविधाओं का उपयोग संस्थान के अन्य विभागों और बीएचयू के साथ-साथ अन्य शिक्षण संस्थान और अनुसंधान प्रयोगशालाएँ भी करती हैं ।

 

विभाग का तल-क्षेत्र 4,002 वर्ग मीटर है । विभाग में 18 प्रयोगशालाएँ, एक कार्यशाला, 7 व्याख्यान थियेटर, 250 सीट का सभागार, टैक्स्ट और संदर्भ पुस्तकों के 11,000 से अधिक वोल्यूम का पुस्तकालय और एक टैक्स्ट पुस्तक बैंक व इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है। विभाग में एक सेमिनार कक्ष और कुछ अनुदेश कक्ष और इसके संकाय के लिए कक्ष भी हैं । विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली ने विभाग को रासायनिक इंजीनियरी में उन्नत अध्ययन के केंद्र का दर्जा प्रदान किया है। विभाग को डीएसटी-एफआईएसटी प्रायोजित विभाग का दर्जा भी प्राप्त है । विभाग की अच्छी साख है और विभिन्न औद्योगिक संगठनों के साथ उसकी व्यवसायिक सहःक्रिया है । संकाय सदस्य उद्योग में उच्चस्तरीय परामर्शी कार्य में जबकि कुछ अन्य उद्योग द्वारा वित्त-पोषित परियोजनाओं में संलिप्त हैं। इनके अलावा, विभाग, वाराणसी में और इसके इर्द-गिर्द उद्योगों को प्रक्रिया सुधार/विकास, कच्चे माल और उत्पाद विष्लेशण, प्रदूषण मानिटस सुविधाओं आदि की जानकारी प्रदान करता है।

 

अनुसंधान के प्रमुख क्षेत्र :-
  • वर्तमान में विभाग में शोध के प्रमुख क्षेत्रों में अपशिष्ट जल उपचार , पृथक्करण प्रक्रिया, उत्प्रेरक, जैव प्रौद्योगिकी और ईंधन सेल शामिल हैं । विभाग ने देश में पेयजल जैसे समस्याओं एवं ऊर्जा (कटाई, उत्पादन और भंडारण) और स्वास्थ्य सेवा के लिए किफायती समाधान विकसित करने पर जोर देने के साथ ऊर्जा, पर्यावरण और नैनो प्रौद्योगिकी के रूप में भविष्य के अनुसंधान के लिए तीन प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है ।
     

संकाय सदस्य और उनके विशेषज्ञता के क्षेत्र  :-

 

क्रम संख्या नाम और योग्यता विशेषज्ञता के क्षेत्र
आचार्य
प्रो एएसके सिन्हा रिएक्शन एनर्जी, फोटोकैलेसाइजिस।, इलेक्ट्रोकैटैलिस्ट्स, प्रोसेस डेवलपमेंट, हाइड्रोजन एनर्जी, नैनोटेक्नोलॉजी
प्रो वीएल यादव पॉलिमर प्रौद्योगिकी, स्थानांतरण प्रक्रियाएं, रसायन रिएक्शन एनजीजी, केमिकल टेक्नोलॉजी
प्रो बी एन राय जैव-उपचार, जल प्रदूषण नियंत्रण, वायु प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण जैव प्रौद्योगिकी
  प्रो पी के मिश्रा पृथक्करण प्रक्रियाएं (निष्कर्षण और झिल्ली पृथक्करण), अपशिष्ट जल उपचार, पॉलिमरिक और सिरेमिक नैनोफिबर
प्रो प्रदीप आहुजा मॉडलिंग और सिमुलेशन कैनेटीक्स और थर्मोडायनामिक्स, एनर्जी एंड पॉलिमर टेक्नोलॉजी
प्रो एम के मंडल औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण, स्थानांतरण प्रक्रिया, रासायनिक प्रतिक्रिया इंजीनियरिंग, मॉडलिंग और सिमुलेशन प्रक्रिया अनुकूलन
प्रो आरएस सिंह पर्यावरण जैव प्रौद्योगिकी, प्रक्रिया नियंत्रण, अपशिष्ट के बायोरेडियशन
प्रो एसवी सिंह फल और सब्जी का भंडारण और प्रसंस्करण, सोखना
सह-आचार्य
डॉ प्रदीप कुमार रासायनिक प्रौद्योगिकी, औद्योगिक प्रदूषण निवारण
डॉ एच प्रामाणिक ईंधन सेल प्रौद्योगिकी , ऊर्जा इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रोकैमिस्ट्री
डॉ भावना वर्मा हीट ट्रांसफर, तरल झिल्ली जुदाई, बायोडीजल, पायोलिसिस, तरल-तरल निकासी
सहायक आचार्य
डॉ एसी मोहन प्रक्रिया नियंत्रण, पॉलिमर प्रौद्योगिकी
डॉ दुर्गा प्रसाद ए प्रक्रिया मॉडलिंग और अनुकार, अनुकूलन तकनीकों, प्रक्रिया गतिशीलता और नियंत्रण, प्रक्रिया उपकरण डिजाइन।
डॉ श्वेता पर्यावरण कटैलिसीस, रिएक्शन कैनेटीक्स, पॉलिमर ब्लेंड, डीजल एक्स्टोस्ट ट्रीटमेंट
डॉ ज्योति पी चक्रवर्ती पायोलिसिस, गैसीकरण, जटिल प्रतिक्रियाओं के कैनेटीक्स
डॉ रवि पी जायसवाल इंटरफेसी इंजीनियरिंग, कण आसंजन
डॉ अंकुर वर्मा इंटरफेसिकल साइंस, माइक्रोफ़्लुइडिक्स, नैनोटेक्नोलॉजी
डॉ मनोज कुमार ऑप्टिकल नैनो सिस्टम डिज़ाइन, ऊर्जा और फोटोकैलालिसीस
डॉ शिंदे विजय मारुति सॉलिड वेस्ट एंड मैटेरियल रसायन, ऊर्जा अनुप्रयोग हेतु हेटरोजेनस कैटालिस्ट, ससटेनैबिलिटी एंड ग्रीन रसायन
डॉ देबदीप भंडारी पॉलीमर एवं उनके इंटरफेस